"कार्य ही पूजा है/कर्मण्येव अधिकारस्य मा फलेषु कदाचना" दृष्टान्त का पालन होता नहीं,या होने नहीं दिया जाता जो करते हैं उन्हें प्रोत्साहन की जगह तिरस्कार का दंड भुगतना पड़ता है आजीविका के लिए कुछ लोग व्यवसाय, उद्योग, कृषि से जुडे, कुछ सेवारत हैंरेल, रक्षा सभी का दर्द उपलब्धि, तथा परिस्थितियों सहित कार्यक्षेत्र का दर्पण तिलक..(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 09999777358

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: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Tuesday, June 18, 2013

केन्द्रीय मंत्री मंडल में कांट छाँट

1) केन्द्रीय मंत्री मंडल में कांट छाँट 
केन्द्रीय मंत्री मंडल में की गई लीपा पोती से आशाएं ? कुछ लोग इससे बड़ी बड़ी आशाएं लगा कर बैठे हैं !
केन्द्रीय मंत्री मंडल के जिस परिवर्तन को नए चेहरे के रूप में इतना महिमा मंडित किया जा रहा है, उसका विश्लेषण करते हैं। कुल 8 चेहरे बदले गए 4 काबिना स्तर के व 4 राज्य स्तर के, जिनमे कोई भी 60 वर्ष से कम नहीं है।  क्या ये हैं, युवा नेता के युवा सहयोगी ?
क्या कभी कोयला धोने से सफ़ेद हुआ है ? पूरी की पूरी सरकार के 4 वर्ष के घोटालों को कैसे धोया जा सकता है?  इन मंत्रियों के बदलने से सरकार का चेहरा कैसे बदलेगा ? परिवर्तन के संकेत का आंकलन करते हैं। सीसराम ओला को जब हटाया गया था क्या कारण था ? चुनाव से पूर्व इसे लाकर मंत्रालय की कार्यक्षमता निखरेगी या बिगड़ेगी ? संप्रग 1 व 2 के घोटालों के दाग मिटने का तो कोई प्रश्न ही नहीं है अपितु अब न तो कार्य करने के लिए समय बचा है न घोटाले करने के लिए। मुझे हटा के मोटे 2 घोटाले तुम करो, दाग धोने के लिए मुझे बुला लो; क्या यह बात उसे और उद्विग्न नहीं करेगी ? बंसल पर आरोप लगे, उसे हटाकर मलिकार्जुन खड्गे को रेल मंत्री बना कर क्या सन्देश दे रहे हैं, कि बड़े बड़े घोटालेबाजों के बीच छोटे मोटे आरोप के मंत्री स्वीकार नहीं ? स्पष्ट है न मंत्रालय का कार्य सुधारना है, न सरकार की छवि। यह केवल और केवल वोट साधने /रिझाने का विशुद्ध रूप से राजनैतिक हत्कंडा मात्र है। कुछ क्षेत्रों में चुनाव देखते हुए चुनावी समीकरण के अंतर्गत जातीय गोटियाँ बिछाने को "किस भाषा में" सरकार का चेहरा चमकाना कहते हैं? यह मेरी समझ से तो परे है। कांग्रेस प्रवक्ता नदीम जावेद स्वयं स्वीकार करते है, कि चेहरा बदलने की बात नहीं है।
70 मंत्रियों के कुनबे में से शेष 62 में अधिकांश वही हैं जो बड़े बड़े घोटाले व अन्य आरोप लगने के बाद भी जमे है। यह तो तब है जब नेतृत्व म. मो. सिंह जैसा अनुभवी वयोवृद्ध व कथित योग्य व्यक्ति के हाथ में है। जब नेतृत्व उस हाथ में होगा, जो आयु, क्षमता, योग्यता व अनुभव हर स्तर पर, सबसे निम्नतम होगा, तो केवल परिवार के टैग लगाने से वह योग्य कैसे बन जायेगा ? कौन बनेगा कठपुतली, कौन किसे नचाएगा ? देश जब एक कठिन परिस्थितियों से जूझ रहा है। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए अनुभवहीन नेतृत्व का प्रयोग, कितना घातक होगा ? यह जानकर भी, लुटेरे सत्ता के गलियारों की बन्दगी से, चाँदी के कुछ ठीकरे पाने की आशा में, राहुल राहुल का जाप क्या राष्ट्र द्रोह नहीं है ? देश को ऐसे शर्मनिर्पेक्षों से बचाने की आवश्यकता है।
नितीश व प्रलय के संकेत कांग्रेस के लिए धर्म निर्पेक्षता की परिभाषा कोई विचारधारा नहीं पाले से है। कांग्रेस का विरोधी व भाजपा के पाले मे रह कर सांप्रदायिक होने वाला, भाजपा से हट कर इनके समर्थन में आते ही, धर्म निर्पेक्ष हो जाता है ? म. मो. सिंह ने भले ही पाला बदलने से, नीतीश को धर्म निर्पेक्ष कहा, किन्तु तभी प्रकृति ने प्रलय के आक्रोश से स्पष्ट संकेत दिया, कि यह कार्य प्रलयंकारी है, विनाशकारी है।
राज नीति गन्दी लगे तो उससे भागो मत, युवाओं में उसका शुद्धिकरण करने की क्षमता है उस क्षमता का उपयोग करो।  हमारी तो बीत गई, भविष्य तुम्हारा है, कैसा हो तुम्हे निर्धारित करना है - तिलक
कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका;
 विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
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http://raashtradarpan.blogspot.in/2013/06/blog-post_18.htmlहम जो भी कार्य करते हैं, परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं |
 देश की बिगडती दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता | आओ मिलकर इसे बनायें; -तिलक

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