"कार्य ही पूजा है/कर्मण्येव अधिकारस्य मा फलेषु कदाचना" दृष्टान्त का पालन होता नहीं,या होने नहीं दिया जाता जो करते हैं उन्हें प्रोत्साहन की जगह तिरस्कार का दंड भुगतना पड़ता है आजीविका के लिए कुछ लोग व्यवसाय, उद्योग, कृषि से जुडे, कुछ सेवारत हैंरेल, रक्षा सभी का दर्द उपलब्धि, तथा परिस्थितियों सहित कार्यक्षेत्र का दर्पण तिलक..(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 09999777358

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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :
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Monday, September 21, 2015

विकासशील भारत के अवरोध

विकासशील भारत के अवरोध 
वन्देमातरम, 
मित्रों, देश के इस बदले राजनैतिक परिवेश में, भारत के विकास के प्रति अनंत आकांक्षाएं पुन: जाग उठी हैं। साथ ही अवरोध भी खड़े करने के प्रयास किये जा रहे हैं। स्वतंत्रता पूर्व नेता जी सुभाष को हटा, गांधीने नेहरू को थोपकर, देश को जो आघात पहुँचाया, उसे 
सार्वजनिक करने तथा उसके घाव भरने का यह सर्वोचित अवसर है। किन्तु गांधी से राष्ट्रवाद को भी  जो क्षति पहुंची उसे दोहराया न जाये, इसके लिए सतर्कता की आवश्यकता है। अखंड राष्ट्रनिष्ठा की भी आवश्यकता है। 
जिन्होंने सोने की चिड़िया देश को लूट दुर्गति बनाई, वे ही गरीबों शोषितों की राजनीति के नाम से पाखंड कर हमें भ्रमित न करें। अत: इस समूह में अधिक से अधिक जुड़ें। तथा लेखन से समाज को जगाये रखें। सांस्कृतिक विरासत सहित -
‘‘माता भूमिः पुत्रो ऽहं पृथिव्याः’’ 
‘उत्तिष्ठित् जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत’ 
कैसे करें शत्रु और मित्र की पहचान -जो 67 वर्ष देश को लूटते रहे, अब अपने पाप, एक राष्ट्र समर्पित शासन पर थोप रहे है। क्या आप सहमत हैं ? 
हाँ या न -युदस 
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देश के नकारात्मक बिकाऊ शर्मनिरपेक्ष मीडिया का एकमात्र सकारात्मक सार्थक राष्ट्रवादी विकल्प का संकल्प युदमीस YDMS -तिलक 
भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो | मानवतावादी वेश में आया रावण |
भारतीय संस्कृति में ही हमारे प्राण है | संस्कृति की रक्षा करना हमारा दायित्व || -तिलक
हम जो भी कार्य करते हैं, परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं |
देश की बिगड चुकी दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता |
आओ मिलकर कार्य संस्कृति की दिशा व दशा श्रेष्ठ बनायें-तिलक